मिताली ने एक ही दिन में तोड़े दो विश्व रिकॉर्ड

मिताली ने एक ही दिन में तोड़े दो विश्व रिकॉर्ड

3 जुलाई को इंग्लैंड के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज के आखिरी मुकाबले में इतिहास रचते हुए भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज दुनिया की सर्वाधिक अंतर्राष्ट्रीय रन बनाने वाली महिला खिलाड़ी बन गई हैं। मिताली ने अपने अंतर्राष्ट्रीय कैरियर की शुरूआत 25 जून 1999 को लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में वनडे क्रिकेट से की थी और पहले ही वनडे मैच में 114 रनों की शानदार पारी खेलकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया था। तब से अब तक उन्होंने अनेक कीर्तिमान भारत की झोली में डाले हैं। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 22 वर्ष पूरे कर चुकी मिताली ने एक ही दिन में दो विश्व रिकॉर्ड तोड़कर साबित कर दिया है कि वनडे महिला क्रिकेट में दुनियाभर में उनका कोई सानी है। इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के तीसरे मैच में बतौर कप्तान 50 ओवर के फॉर्मेट में उनकी 84वीं जीत है और इस प्रकार मिताली ने आस्ट्रेलिया की बेलिंडा क्लार्क के 83 जीत के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया है।

मिताली सचिन तेंदुलकर के अलावा लगातार 22 वर्षों तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाली भारत की दूसरी क्रिकेटर हैं। वारसेस्टर में खेले गए वनडे मुकाबले में 38 साल की मिताली ने 75 रनों की नाबाद पारी खेलकर न केवल अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन पूरे किए बल्कि वह दुनिया की सबसे ज्यादा वनडे मैच जीतने वाली सबसे सफल कप्तान भी बन गई हैं। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में लगातार तीसरा अर्धशतक लगाकर भारत को चार विकेट से जीत भी दिलाई। पहले वनडे में मिताली ने 72, दूसरे में 59 और तीसरे वनडे में 75 रन बनाए। इस सीरीज में वह सर्वाधिक रन, सबसे ज्यादा अर्धशतक और सबसे ज्यादा चौके लगाने वाली खिलाड़ी रही। मिताली ने जिस दौर में अपने अंतर्राष्ट्रीय कैरियर की शुरूआत की थी, तब भारतीय महिला टीम की गिनती हारने वाली टीमों में होती थी लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मैचों में उनका बल्ला ऐसा चला कि 2002 के बाद टीम इंडिया की स्थिति सुधरती गई और 2005 के वनडे विश्वकप फाइनल तक पहुंचने के बाद टीम इंडिया ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हालांकि मिताली का कहना है कि जब उन्होंने अपना कैरियर शुरू किया था तो सोचा भी नहीं था कि वह इतनी दूर तक पहुंच पाएंगी।

बहरहाल, मिताली अब महिला क्रिकेट के तीनों ही फॉर्मेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी बन गई हैं। उन्होंने जैसे ही इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे वनडे में पारी के 24वें ओवर में नैट साइवर की गेंद पर चौका जड़ा, वैसे ही इंग्लैंड की पूर्व कप्तान चार्लोट एडवर्ड्स के 10273 अंतर्राष्ट्रीय रनों के रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए वह महिला अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली क्रिकेटर बन गई। मिताली के नाम अब 10337 रन हो चुके हैं जबकि चार्लोट के नाम 10273 रन हैं। मई 2016 में 41 वर्ष की आयु में एडवर्ड्स अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायर हो गई थी, इसलिए अभी निकट भविष्य में तो मिताली के रिकॉर्ड को तोड़ना असंभव लगता है। 7849 रनों के साथ तीसरे नंबर पर न्यूजीलैंड की सूजी बेट्स हैं। मिताली टी-20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को सितम्बर 2019 में अलविदा कह चुकी हैं और इस सबसे छोटे फॉर्मेट में वह 37.52 की औसत और 96.33 की स्ट्राइक रेट से 2364 रनों के साथ सबसे ज्यादा रन बनाने की सूची में 7वें नंबर पर हैं।

मिताली राज की महिला क्रिकेट में सबसे बड़ी विशेषता यही है कि क्रिकेट में बल्लेबाजी का लगभग हर रिकॉर्ड उनके नाम है। वह वर्ष 2017 में बीबीसी की सौ प्रभावशाली महिलाओं में शामिल रही थी और अपने शानदार प्रदर्शन से भारतीय महिला क्रिकेट का कद पूरी दुनिया में ऊंचा किया है। 1 फरवरी 2019 को मिताली 200 वनडे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेलने वाली पहली महिला क्रिकेटर भी बनी थी। इसके अलावा कुछ माह पहले उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ एक मैच में 50 ओवरों के प्रारूप में अंतर्राष्ट्रीय मैचों का दोहरा शतक जमाने वाली पहली महिला बनने का कीर्तिमान भी स्थापित किया था। आईसीसी वर्ल्ड रैंकिंग में वह 2010, 2011 तथा 2012 में प्रथम स्थान पर रही हैं। टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक बनाने वाली वह पहली महिला खिलाड़ी हैं। टेस्ट मैचों में उन्होंने 214 रन बटोरकर अपना एकमात्र शतक इंग्लैंड के खिलाफ 2002 में टॉटन में जड़ा था। वह भारत की पहली ऐसी महिला कप्तान हैं, जिन्होंने दो वनडे विश्वकप के फाइनल में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया। उनकी कुछ उपलब्धियां तो ऐसी हैं कि कुछ रिकॉर्डों के मामले में तो वह विराट कोहली सहित दूसरे पुरूष खिलाडि़यों पर भी भारी पड़ी हैं। वह अंतर्राष्ट्रीय टी-20 मैचों में रन बनाने के मामले में रोहित शर्मा और विराट कोहली को भी पीछे छोड़ चुकी हैं। इसीलिए उनके योगदान को सराहते हुए पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कहा था कि मिताली की मेहनत तथा कामयाबी की कहानी न केवल महिला बल्कि पुरुष क्रिकेटरों के लिए भी हौसला बढ़ाने वाली है।

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