कान्हा से जानिए सफलता के मात्र 5 मं‍त्र

कान्हा से जानिए सफलता के मात्र 5 मं‍त्र

कृष्ण का व्यक्तित्व अनूठा है। अभी तक हम उन्हें अलग-अलग देखते आए हैं। कोई योगेश्वर कृष्ण कहता है, कोई भगवान, तो कोई राधा का प्रेमी, कोई द्रोपदी का सखा, अर्जुन के गुरु, तो कोई कुछ और। सूरदास के कृष्ण बालक है, महाभारत के कृष्ण गुरु है तो भागवत के कृष्ण इससे भिन्न है। सब उन्हें अपने-अपने नजरिए से देखते हैं। मीरा इन्हें प्रियतम मानती है, हम जैसे लोग लोग उन्हें भगवान मानते हैं। कृष्ण के अनेक रूप है। भिन्न-भिन्न लोग भिन्न-भिन्न रूप में उनकी पूजा करते हैं।


कृष्ण संपूर्ण जीवन के समर्थक है। वे पल-पल आनन्द से जीने की प्रेरणा देते हैं। महर्षि अरविन्द को जो जेल में दर्शन दे सकते हैं, तिलक का मार्गदर्शन कर सकते हैं, विनोबा को प्रेरित कर सकते हैं तो हमें भी रास्ता दिखा सकते हैं। बस जरूरत है पूरे मनोयोग से उस पर अमल करने की और आगे बढ़ने की। यकीन मानिए सफलता आपके कदम चूमेगी। श्यामवर्ण श्रीकृष्ण की गीता में लिखित ज्ञान के माध्यम से जिंदगी में आ रही बाधाओं को भी दूर कर सफलता प्राप्त की जा सकती है। युवाओं के लिए मार्गदर्शक के तौर पर भगवान एवं सखा श्रीकृष्ण से बढ़कर दूसरा कोई नहीं है।

युवाओं के सबसे करीबी माने जाने वाले श्रीकृष्ण उनके लिए मित्रवत होने के साथ ही अहम गुरु भी हैं, जो उन्हें विपत्ति और संकट के समय गीता के ज्ञान से उजाले की ओर से ले जाते हैं और तनाव से मुक्ति भी दिलाते हैं। जन्माष्टमी के पावन पर्व पर हम आपको बता रहे हैं गीता में श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए सफलता के कुछ मंत्र-

1. दूरगामी सोच रखें- श्रीकृष्ण की ओर से बोले गए ज्ञान के श्लोकों पर आधारित भागवत गीता के अनुसार हमें सोच को संकुचित बनाने के स्थान पर दूरगामी और व्यापक बनानी चाहिए।

उदाहरण के तौर पर जब पांडव मोम के लाक्षागृह में फंस गए तो महज एक चूहा उन्हें उपहार में दिया और केवल एक चूहे के जरिए पांडवों ने लाक्षागृह से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ जीवन को सुरक्षित किया। यह दूरगामी सोच का ही परिणाम रहा।

2. डर के आगे जीत- गीता के अनुसार अगर आपके सामने समस्या विकराल बनती जा रही है और फिर भी समाधान नहीं कर पा रहे हैं तो भी हिम्मत न हारे और चिंतन करने के साथ ही समस्या का सामना करें। मुसीबतों से घबराने की जगह उसका सामना करना ही सबसे बड़ी शक्ति है। एक बार डर को पार कर लिया तो समझो जीत आपके कदमों में। पांडवों ने भी धर्म के सहारे युद्ध जीता था।

3. प्रगति पथ पर प्रशस्त- श्रीकृष्ण ने हमेशा पांडवों से यही कहा कि पीछे हटने की बजाए प्रगति पथ पर मार्ग प्रशस्त करें। उदाहरण के तौर पर यदि एक कर्मचारी कंपनी से लगाव होने के कारण जीवन के अच्छे अवसरों को छोड़ रहा है, तो यह मूर्खता है। क्योंकि अटैचमेंट टैलेंट को मार देता है। ऐसे में अगर आपको ज्यादा स्कोप, स्थान परिवर्तन में दिखाई देता है, तो फिर स्थान परिवर्तन करने में ही फायदा है।

4. ऋषिकेश बनें- श्रीकृष्ण को ऋषिकेश भी कहा जाता है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है ऋषक और ईश यानी इन्द्रियों को वश में करने वाला स्वामी। श्रीकृष्ण की भक्ति करने वाला व्यक्ति बुद्धि पर विजय प्राप्त करने में सक्षम रहता है। गीता के अनुसार हवा को वश में करना तो फिर भी संभव है, लेकिन दिमाग को वश में कर पाना असंभव है। बावजूद इसके जिसका मन पर कंट्रोल हो गया वह आसानी से हर जगह सफलता हासिल कर सकता है।


5. स्मृति, ज्ञान और बुद्धि- गीता में श्रीकृष्ण ने एक श्लोक के माध्यम से उल्लेखित किया है कि किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए स्मृति और बुद्धि का स्वस्थ होना अनिवार्य है। बुद्धि मतलब अच्छी चीजों को परखने की क्षमता, ज्ञान मतलब सभी पहलुओं की बारीकी से जानकारी और स्मृति यानी बुरी को भुलाने और अच्छी को याद करने की क्षमता। यदि इन तीनों पर युवा फोकस करें तो जीवन की सत्तर फीसदी कठिनाइयों से छुटकारा पाया जा सकता है।

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