झूठी परी की कहानी

झूठी परी की कहानी

परी लोक की दुनिया मे सानिया नाम की परी थी। वह वहाँ की रानी परी थी। उसकी बेटी का नाम कविता परी था। कविता  बहुत झूठ बोलती थी। एक दिन उसका स्कूल जाने का मन नहीं था। तो वो बहाना बनाकर अपने कमरे मे लेट गयी। जब सानिया परी आयी तो उससे बोली ‘माँ मेरा स्कूल जाने का तो बहुत मन है ,पर तबियत ठीक नहीं लग रही। सानिया ने उसको आराम करने को बोला।कविता हर बात मे झूठ बोलती थी।

जो दासियाँ उसको पसंद नहीं थी उनको भी वो कुछ न कुछ झूठ बोलकर निकलवा देती थी। कभी कपड़ो पर प्रेस अच्छे से नहीं की ,कभी खाना अच्छा नहीं बनाया। आदि अब तो सानिया परी भी उसके झूठ बोलने की आदत से दुखी हो गयी थी। वो गुरु माँ के पास इस परेशानी का हल लेने को जाती है। गुरु माँ उसको बताती है ,कि पृथ्वीलोक पर एक झरना है।अगर कोई पृथ्वीलोक का सच्चा इंसान उस झरने का पानी कविता परी को पिलाये तो उससे उसकी झूठ बोलने की आदत खत्म हो सकती है।

सानिया परी ने पृथ्वीलोक पर मुनादी करवा दी वहाँ पर दीपक नाम का एक राजकुमार था। वो बहुत सच्चा और अच्छा इंसान था। इस बात को सुनकर वो झरना खोजने को निकल पड़ता है। जंगल मे पहुँचकर वो देखता है ,एक बूढी औरत दलदल मे धसि जा रही थी और वो मदद के लिए पुकार रही थी। दीपक यह देखकर उसको बचाने को पहुँच गया।

और उस बूढी औरत को बचा लीआ। दीपक ने ऐसी जगह पर उसके आने की वजह पूछी। तब उसने बताया मैं एक जादूगरनी हूँ बूढ़े होने के कारण अब मेरे पास शक्तियाँ नहीं बची है।उस औरत ने दीपक के वहाँ आने का कारण पूछा। तब उसने झरने के बारे मे बताया। तब वो बूढी उसको लेकर झरने के पास गयी। और एक बोतल मे पानी भरकर दिया और कहा अगर कविता परी झूठ बोले तो उसके ऊपर यह पानी की कुछ बूँदे छिड़क देना। और कहना आपने जो अभी कहा है वह सब सच हो। उसके बाद उसके साथ वही सब कुछ होगा।

जिससे वो झूठ बोलना छोड़ देगी। दीपक।वह जल लेकर परीलोक गया। वहाँ कविता बीमारी का बहाना बनाकर कमरे मे लेटी हुई थी। जब दीपक ने उससे उसके लेटे होने का कारण पूछा। तो वह बोली मैंने कल रात बहुत डरावना सपना देखा था।जिसमे एक प्रेत मेरे पीछे पड़ा था। दीपक उसकी बात सुनकर बोला। आप जो भी कह रही हो वह सच हो और उस बोतल का पानी छिड़क दिया। उसी रात को उसको वहीँ सपना आया जो उसने झूठे को सुनाया था।

दूसरे दिन उसके सर मे दर्द होने लगा। पर उसकी माँ ने उसकी बात को झूठ ही माना।दीपक जब आकर देखता है तो कविता रो रही होती है। तो वह उससे उसके रोने की वजह पूछता है। तब कविता उसको बताती है। मैंने बचपन से ही बहुत झूठ बोले है।मुझे अब कोई प्यार नहीं करता। मेरा दिल दर्द कर रहा है।

तब दीपक उसको लेकर झरने पर जाता है और झरने का पानी उसको पिलाता है।जिससे कविता की झूठ बोलने की आदत हमेशा के लिए खत्म हो जाती है। कविता और दीपक अच्छे दोस्त बन जाते है सानिया परी भी दीपा की झूठ बोलने की आदत खत्म होने से बहुत खुश हो जाती है। और सभी कविता से वापस प्यार करने लगते है।

सीख : तो दोस्तों इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है की हमे कभी भी झूट नही बोलना चाहिये और हमे हमेशा सच कहना चाहिये और सच का साथ देना चाहिये 

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