मप्र में डेंगू हुआ खतरनाक
भोपाल । प्रदेश में पिछले तीन महीने से कहर ढा रहा डेंगू अब खतरनाक स्थित में पहुंच चुका है। कई शहरों में शॉक सिंड्रोम से पीडि़त मरीज मिले हैं। इस स्थित में मरीज के जरूरी अंग फेल होने का खतरा कई गुना अधिक बढ़ जाता है।विशेषज्ञ डॉक्टरों के मुताबिक डेंगू पीडि़त को समय पर इलाज नहीं मिलने पर उसकी खून की नलियों में सूजन से अंदर का द्रव रिसकर लीवर, फेफड़े, पेट के आसपास जमा होने लगता है। ये किडनी और हार्ट फेल होने का खतरा बढ़ा देता है। ये काम करना बंद कर देते है। मल्टी ऑर्गन फेलियर की आशंका बढ़ जाती है। सामान्य बुखार समझकर दवा लेने वाले मरीजों में इस तरह के लक्षण अधिक मिल रहे हैं।मल्टीऑर्गन फेलियर का खतरा
चिकित्सकों के मुताबिक अभी वायरल बुखार के साथ ही डेंगू मरीज मिल रहे हैं। ऐसे में समय पर जांच कराकर ये पता लगाना जरूरी है कि असल बीमारी क्या है। डेंगू में प्लेटलेट्स कम होना बड़ी समस्या नहीं है। साधारण डेंगू में बुखार के साथ प्लेटलेट्स कम होती है, लेकिन फिर धीरे-धीरे बढ़ जाती है। पर समय पर इलाज न मिलने से स्थित बिगड़ रही है। डेंगू का असर ज्यादा होने पर वेसल्स से फ्लूट बाहर आने पर मरीज को शॉक सिंड्रोम से बचाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे मरीज तेज बुखार के बाद धीरे-धीरे होश खोने लगते है। बीपी एकदम से लो हो जाता है। मल्टीऑर्गन फेलियर का खतरा बढ़ जाता है। डेंगू पर पानी खूब लें। पौष्टिक खानपान अपनाएं। बुखार होने पर सिर्फ पैरोसिटामॉल लें। कोई और पेन किलर ना लें।
लार्वो सर्वे और फॉगिंग को लेकर उठ रहे सवाल
जानकारों का कहना है कि अगस्त से डेंगू मलेरिया के मरीजों की संख्या बढऩे लगती है। इसे रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग एक्शन प्लान बनाता है। इसमें पानी स्टोर करने वाले घर, छत, गमले, खाली पड़े प्लाट में पानी जमा होने पर उनका सर्वे कर लार्वा को पनपने से रोकने के लिए दवा का छिड़काव किया जाता है। इसमें लापरवाही के कारण ही मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। साफ है कि न तो इलाकों में लार्वा सर्वे कर उसे नष्ट करने का काम ठीक से हुआ और न ही फॉगिंग की गई।
जानकारों का कहना है कि अगस्त से डेंगू मलेरिया के मरीजों की संख्या बढऩे लगती है। इसे रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग एक्शन प्लान बनाता है। इसमें पानी स्टोर करने वाले घर, छत, गमले, खाली पड़े प्लाट में पानी जमा होने पर उनका सर्वे कर लार्वा को पनपने से रोकने के लिए दवा का छिड़काव किया जाता है। इसमें लापरवाही के कारण ही मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। साफ है कि न तो इलाकों में लार्वा सर्वे कर उसे नष्ट करने का काम ठीक से हुआ और न ही फॉगिंग की गई।