जबलपुर में महादेव पहलवान पर लग सकता है NSA,जानिए

जबलपुर में महादेव पहलवान पर लग सकता है NSA,जानिए

बेटा रेपिस्ट और उसका पिता सूदखोरी और जमीनों पर कब्जे का बेताज बादशाह निकला। पुलिस के छापे के बाद पूरी कहानी सामने आने लगी है। 40 साल पहले तेजाब हमले में महादेव उर्फ पहलवान की दोनों आंखें चली गई। तब से वह काले चश्मे पहना है। कोतवाली थाने से चंद कदम दूरी पर रहने वाले महादेव के नाम की शहर में तूती बोलती है। सूदखोरी से लेकर प्रापर्टी पर कब्जा और विवादास्पद संपत्तियों में उसकी दखलअंदाजी के बाद सफेदपोश भी बीच में पड़ने से घबराते थे। अब बेटे के साथ वह भी पुलिस गिरफ्तर में है।

कोतवाली थाने के पास राजा रसगुल्ला दुकान के सामने 69 वर्षीय महादेव अवस्थी उर्फ महादेव पहलवान 1250 वर्गफीट में दो मंजिला मकान में पत्नी विमला और दत्तक बेटे यश अवस्थी के साथ रहता है। नीचे की दो दुकानों में एक में बेटा यश गैस संबंधी काम करता है। दूसरी दुकान में प्रॉपर्टी संबंधी कारोबार किया जाता है। दोनों आंखों से देख नहीं पाने के बाद भी महादेव पहलवान ने 150 से ज्यादा लड़के पाल रखे हैं, जो उसके इशारे पर कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।

पहलवान से अपराध की दुनिया में आया
राजा रसगुल्ला के सामने ही अखाड़ा है। जवानी के दिनों में महादेव वहां पहलवानी करता था। इस कारण उसकी एक पहचान महादेव पहलवान के रूप में बन गई। शरीर से बलिष्ट था, इस कारण लोग डरते थे। उस समय जबलपुर की पहचान तेजाब नगरी के रूप में हुआ करती थी। महादेव का 40 साल पहले तमरहाई चौक थाना कोतवाली में कमलेश रैकवार निवासी झरईया कुंआ से विवाद हुआ। कमलेश रैकवार ने महादेव पर तेजाब फेंक दिया। घटना में उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी।

अंधेपन को बनाया हथियार, जुर्म की दुनिया में बन गया बड़ा नाम

महादेव पहलवान ने अंधेपन काे अपना हथियार बना लिया। वह ब्याज पर पैसे चलाने लगा। 10 से 30 प्रतिशत ब्याज पर वह पैसे देने लगा। इसकी वसूली के लिए उसने लड़के रखने शुरू किए। जल्द ही उसने 150 से लड़कों की टोली बना ली। ये सभी लड़के उसके इशारे पर ब्याज की रकम वसूलने का काम करते हैं।

अधिकतर लोगों को वह ब्याज पर पैसे प्रॉपर्टी को गिरवी पर रखवा कर देता है। ब्याज न देने वाले की बाद में पूरी प्रॉपर्टी अपने खास गुर्गे विजय नगर निवासी गुड्डू केशरवानी और सराफा चौक निवासी जीवन विश्वकर्मा के नाम पर रजिस्ट्री करा लेता था। पुलिस ने दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया है।
खुद का बेटा नहीं हुआ तो लिया गोद
महादेव पहलवान की शादी तेजाब कांड से पहले ही विमला अवस्थी से हो चुकी थी। उसकी दो बेटियां थीं। बड़ी बेटी काजल 22 साल की उम्र में 2014 में संदिग्ध हालत में कमरे में मृत मिली थी। महादेव का दावा है कि ठंड के चलते उसकी मौत हो गई थी। वह बैंक ऑफ इंडिया में पीओ के पद पर उस समय कार्यरत थी। वहीं छोटी बेटी की शादी कर चुका है। उसके ही मकान में गैस का काम करने वाले के बेटे यश को उसने अपना दत्तक पुत्र बना लिया है। दत्तक पिता की अकूत कमाई के चलते बेटा यश भी गलत संगत में बिगड़ गया।
घर की सर्चिंग में ये मिला
बेटे यश के खिलाफ महिला थाने में 20 साल की युवती ने 7 नवंबर को डरा-धमकाकर रेप करने का केस दर्ज करवाया। उसने कहा कि 2019 से वो उसके साथ दुष्कर्म कर रहा है। यश की गिरफ्तारी के बाद एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा के निर्देश पर टीम ने सोमवार सुबह 8 बजे पहलवान के घर दबिश दी थी।

आरोपी के घर से एक रिवॉल्वर 32 बोर, एक रायफल 315 बोर और 312 बोर का डबल बैरल बंदूक, 46 कारतूस, 4 चाकू, 9.90 लाख रुपए कैश, 3 किलो 340 ग्राम चांदी की सिल्लियां, कई बही खाते जिनमें सूदखोरी के लाखों रुपए के लेन-देन का जिक्र है, हिसाब-किताब और जमीनों की कई रजिस्ट्रियां और अनुबंध पत्र जब्त हुए हैं।
इंद्राना में 2010 में खरीदी 46 एकड़ जमीन
आरोपी महादेव पहलवान ने अकूत कमाई से 2010 में इंद्राना में 46 एकड़ खेती की जमीन खरीदी है। उसके घर से जब्त तीनों हथियार उसकी पत्नी के नाम पर इंद्राना के पते पर खरीदे गए हैं, लेकिन उसे कोतवाली थाने में नहीं चढ़वाया था। वहीं ग्वारीघाट के सिद्धनगर में उसने 3 एकड़ जमीन डूब क्षेत्र में खरीदी है। वह यहां बेटी काजल की याद में आश्रम बनवा रहा था।

इसका हर महीने 50 हजार रुपए किराया मिलता है
नर्मदा के 300 मीटर के दायरे में आने से वह इसे नहीं बनवा पाया। माढ़ोताल आईटीआई के पास एक बड़ा मकान उसने प्रशिक्षण सेंटर के तौर पर कॉलेज प्रबंधन को दे रखा है। इसका हर महीने 50 हजार रुपए किराया मिलता है। वहीं तीन दुकानें कटंगी बायपास पर सोना गार्डन के सामने हैं। उसका 15 हजार रुपए किराया मिलता है।

सामाजिक कार्यों में भी लेता था रुचि
महादेव पहलवान अपने काले कारनामों को सामाजिक कार्यों के लबादे में दबाने की कोशिश करता रहता था। वह साल में दो बार महिलाओं के तीजा आदि व्रत के समय में फ्री में पोहा-जलेबी बंटवाता था। बड़े पैमाने पर वह इसे बंटवाता था। उसके नाम की दहशत ऐसी थी कि कोतवाली और लार्डगंज में कोई भी प्रॉपर्टी पर हाथ डाल देता था, तो उसे कोई नेता भी नहीं छूता था।

उसका नाम कई हत्याओं में भी साजिश रचने में आया
उसका नाम कई हत्याओं में भी साजिश रचने में आया, लेकिन अपने अंधेपन के चलते वह हर बार बच निकला। 2008 में संजू दाहिया हत्याकांड में भी नाम सामने आया था। 2008 में ही कई पीड़ित लोगों ने ब्याज पर लिए गए पैसों के एवज में उस पर मकान-दुकान कब्जाने की शिकायत कोतवाली सहित एसपी आफिस में की थी। क्षेत्र में दबदबे के कारण सीधे लोग इसका नाम लेने से बचते हैं।

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