मध्यप्रदेश में दोड़ेंगी 1002 एंबुलेंस, दो महीनो के अंदर
पांच साल पहले जेडएचएल कंपनी को इन वाहनों के संचालन की जिम्मेदारी दी गई थी। तब से लेकर आज तक वाहनों की संख्या नहीं बढ़ाई गई है, जबकि जरूरतमंदों की संख्या बढ़ी है। इस कारण वाहन व्यस्त होने की स्थिति में लोगों को तुरंत सेवा नहीं मिल पाती थी।
इस शर्त पर मिली संचालन की जिम्मेदारी
जय अंबे कंपनी खुद के वाहन लगाएगी। इन वाहनों के संचालन के बदले में कंपनी को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तरफ से 220 करोड़ रुपए हर साल भुगतान किया जाएगा। अभी मौजूदा वाहन सरकार की तरफ से ही उपलब्ध कराए जाते थे। इनके संचालन की जिम्मेदारी जेड एच एल कंपनी की होती थी। संचालन के लिए करीब 300 करोड़ रुपए हर साल जेडएचएल कंपनी को भुगतान किए जा रहे थे। अब कंपनी खुद अपना वाहन लगाएगी। वाहनों की संख्या भी बढ़ेगी। संचालन का खर्च हर साल करीब 80 करोड़ रुपए कम हो जाएगा। जय अंबे को छह साल के लिए वाहनों के संचालन की जिम्मेदारी दी गई है।
नई कंपनी आने के बाद यह सुविधाएं बढ़ जाएंगी
अभी जरूरतमंद द्वारा फोन करने के 20 मिनट बाद एंबुलेंस पहुंचने की शर्त है, लेकिन हकीकत में एंबुलेंस पहुंचने का औसत समय 23 मिनट है। नई कंपनी को 16 मिनट के भीतर जरूरतमंद तक एंबुलेंस पहुंचाने की शर्त दी गई है। सभी वाहन नए होने की स्थिति में इस शर्त को पूरा कर पाना भी आसान होगा। इसी तरह से जननी एक्सप्रेस के पहुंचने का समय 30 मिनट से कम होकर 25 मिनट हो जाएगा। एंबुलेंस बुलाने के लिए पता बताने की जरूरत नहीं होगी। फोन करने वाले की मोबाइल लोकेशन से पता चल जाएगा की मरीज कहां पर है। मोबाइल ऐप के जरिए भी एंबुलेंस और जननी एक्सप्रेस वाहन बुलाए जा सकेंगे। जननी एक्सप्रेस और 108 एंबुलेंस में ज्यादा तेज चलने वाले और वाहन के भीतर ज्यादा जगह वाली गाडिय़ां चलाई जाएंगी।