तुर्की को अब तुर्किये कहा जाएगा। यहां के राष्ट्रपति रिसेप तैयप एर्दोआन की सरकार ने दिसंबर में इसके लिए कोशिश शुरू की थी। दरअसल नाम बदले के पीछे तुर्की के पीछे छिपे नकारात्मक भाव से मुक्ति पाना है। यूनाइटेड नेशन ऑर्गनाइजेशन (यूएन) के महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने बुधवार को कहा- ‘तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू ने चिट्ठी लिखकर बताया, अब उनके देश को तुर्की नहीं बल्कि तुर्किये के नाम से जाना जाए। हमने इस गुजारिश को मंजूर कर लिया है।’ पिछले साल ही राष्ट्रपति एर्दोआन ने तुर्की संस्कृति को ध्यान में रखकर तुर्की की जगह 'तुर्किये' के इस्तेमाल का आदेश दे दिया था। इस आदेश के मुताबिक- विदेश में एक्सपोर्ट किए जाने वाले सभी प्रोडक्ट्स पर ‘मेड इन तुर्की’ के बजाय ‘मेड इन तुर्किये’ का इस्तेमाल किया जाएगा। तुर्की के सभी मंत्रालयों ने आधिकारिक दस्तावेजों में 'तुर्किये' लिखना भी शुरू कर दिया था। इस साल की शुरुआत से ही सरकार ने नाम अंग्रेजी में बदलने के लिए लगातार प्रचार भी किया। टूरिज्म प्रमोशन वीडियो में तुर्की को 'हैलो तुर्किये' कह रहे थे।
सरकार दुनिया में तुर्किये को ब्रांड नेम बनाना चाहती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि टर्की या तुर्की शब्द वहां की भाषा के मुताबिक निगेटिव माना जाता है। इसी वजह से यहां के नागरिक 1923 में तुर्की की स्वतंत्रता की घोषणा के बाद से ही इसे ’तुर्किये’ बोलते आ रहे हैं। एर्दोआन लंबे अरसे से इंटरनेशनल लेवल पर 'तुर्किये' (उच्चारण है: तूर-की-याय) को मान्यता दिलवाने की कोशिश कर रहे थे। यूएन के मान्यता देने के बाद ये कोशिश अब कामयाबी में तब्दील हो गई है। तुर्की के डायरेक्ट्रेट ऑफ कम्यूनिकेशन ने कहा है- ‘हमने इंटरनेशन प्लेटफार्म्स पर तुर्किये के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए मुहिम चलाई है। तुर्की के नेशनल ब्रॉडकास्टर टीआरटी वर्ल्ड ने देश का नाम बदलने के पक्ष में दलील देते हुए कहा- तुर्क अपने मुल्क को 'तुर्किये' कहलाना पसंद करते हैं और वह चाहते हैं कि दुनिया के बाकी लोक भी हमारे देश को तुर्किये नाम से ही जानें। तुर्की कई मतलब होते हैं। इसे ज्यादातर मायनों में नहीं लिया जाता, खासतौर पर अंग्रेजी में। दरअसल, तुर्की को इंग्लिश में टर्की कहा जाता है। टर्की का मतलब मूर्ख भी होता है। यही नहीं, इसका इस्तेमाल नाकामी के तौर पर भी किया जाता है। टर्की नाम का एक पक्षी भी होता है। भारत में इसे तीतर कहा जाता है।
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