पैंतीस(35) साल का रहस्मय सफर ,आखिर क्या हुआ था उस रहस्मय फ्लाइट-513 में ,जानिए

पैंतीस(35) साल का रहस्मय सफर ,आखिर क्या हुआ था उस रहस्मय फ्लाइट-513 में

Part-1

#Mysterious journey of thirty-five (35) years, what happened in that mysterious flight-513, know

4सितम्बर1994 की सुबह सेन डियागो एयर लाइन्स की फ्लाइट -513 ने जर्मनी के एक एयरपोर्ट से पोर्ट अलेग्रा ब्राज़ील के लिए उड़ान भरी ये यात्रा 18 घंटे की होने वाली थी! लेकिन उड़ान के कुछ ही घंटे बाद जब वह जहाज उड़ते हुए अटलांटिक महासागर के ऊपर पहुंचा तब अचनाक से जहाज का कांटेक्ट कंट्रोल स्टेशन से टूट गया कई दिन बीते कई महीने बीते जहाँ तक की कई साल भी बीत चुके थे लेकिन फ्लाइट 513 की कोई खबर नहीं मिली लोगो को लगने लगा की फ्लाइट 513 और उसके सारे यात्री को कोई बड़ा दानव या कोई पानी का शैतान उन सब को निगल गया!

उन सभी लोगो ने मान लिया की अब फ्लाइट 513 और उसके 92 यात्रि को कोई भी नहीं ढून्ढ सकता और अब वो कभी वापस भी नहीं आएंगे इस घटना के कुछ ही दिनों बाद सेन डियागो एयर लाइन्स को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया! लेकिन इस फ्लाइट 513 की खोज चालू ही रखी उन्हें उम्मीद थी की शायद उस फ्लाइट 513 के कुछ अवशेस हि मील जाये लेकिन काफी कोशिस करने के बाद भी उन 92 यात्रियों का पता नहीं लग पाया और न ही उस फ्लाइट के कुछ अवशेस मिले!

इस घटना के 35 सालो के बाद 12 अक्टूबर 1989 की सुबह पोर्ट अलेग्रा के रेडार पर एक अज्ञात प्लेन दिखाई दिया जो की पोर्ट अलेग्रा के तरफ तेज़ी से आ रहा था प्लेन के पास पहुंच कर एयरपोर्ट ट्रैफिक कंट्रोल पर बैठे लोग उस प्लेन पर लिखा हुआ देखकर घबरा गए उस प्लेन पर सेन टियागो एयरलाइन्स फ्लाईट -513 लिखा था चारो तरफ डर का माहौल बना हुआ था क्योंकि सेन टियागो एयरलाइन्स को बंद हुए पूरे 35 साल हो चुके थे तो फिर अचानक से वह प्लेन बिना कोई सिगनल और बिना कोई चेतवानी के कैसे आ सकता है वहां पर जितने भी लोग थे काफी आश्चर्यजनक और घबराये सहमे हुए थे क्योंकि ये वही फ्लाइट-513 थी जो 35 साल पहले गायब हो गयी थी! तो ये अचानक से कैसे आ गयी और वो भी 35 सालो के बाद! ATK में फ्लाइट के पायलट से बात करने की कोशिश की जा रही रही थी लेकिन फ्लाइट-513 से कोई रिप्लाई नहीं आ रहा था तो एयरपोर्ट अथॉरिटी ने फ्लाइट का दरवाज़ा तोड़ने का फैसला किया और जैसे ही उन्होंने ने फ्लाइट का दरवाज़ा तोडा तो वो सब देखकर उन सब ले होश उड़ गए!

दरअसल उन्होंने उस फ्लाइट पर यह देखा की 92 यात्री सब कंकाल बन चुके है और फिर जब पायलट का दरवाज़ा तोडा गया तब वो पायलट भी कंकाल बन चूका था और ये 92 यात्री सब अपनी जगह बैठे थे जहाँ तक की पायलट के कंकाल का हाथ प्लेन के नेविगेशन पर ही था और वो सीटबेल्ट बाँध कर अपनी जगह पर ही बैठा हुआ था! ब्राज़ील की सरकार ने इस घटना को काफी गुप्त रखा और किसी से इस घटना के बारे में बात नहीं की!

ब्राज़ील की सरकार ने पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर और अन्य इन्वेस्टिगेटर को बुलाया इस केस पर स्टडी करने के लिए जहाँ तक की उस समय के सबसे सम्मानित और प्रसिद्द इन्वेस्टिगेटर और साइंटिस्ट डॉ अटेलो को इस केस पर स्टडी करने को कहा! काफी कोशिश और पैरानॉर्मल रिसर्च करने के बाद भी डॉ अटेलो और पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर सभी ने मिलकर एक थ्योरी बताई के फ्लाइट-513 किसी तरह के(Space time) समयचक्र में एंटर हुई और सं 1989 के काल में पहुँच गयी ये किसी वर्महोल में फस गयी थी जिससे की समय के आर पार आया जाया जा सकता है इसके बावजूद भी सबलोग मिलकर इस सवाल का जवाब नहीं दे प् रहे थे के वो सब यात्री और पाईलेट कंकाल कैसे बन गए

इस किस्से का दूसरा भाग ये रहा 


फ्लाइट 513 अटलांटिक महासागर के ऊपर से अचानक कैसे गायब हो गयी, आखिर क्या टाइम ट्रेवल पॉसिबल है?? अगर वो लोग टाइम में सफर कर रहे थे तो वो लोग कंकाल कैसे बन गए..??

आपने पहले पार्ट में जाना की फ्लाइट-513 कैसे टाइम होल में जा पहुंची और पूरे 35 साल के बाद वो लौटी आज हम इसका दूसरा भाग बताने वाले है जिसे सुनकर आपके पैरो तले ज़मीन खिसक जाएगी! मैंने भी इस स्टोरी पर यकीन कर लिया था, और फिर सच जानने की काफी कोशिश और गूगल पर रिसर्च की लेकिन गूगल भी यही बता रहा था के फ्लाइट-513(35) साल के बाद लौटा आखिर गूगल भी पर ये काल्पनिक स्टोरी क्यों फैलाई जा रही थी! क्या वजह थी इसके पीछे, फिर मैंने UN की सारी फ्लाइट की जानकारी सूत्रों द्वारा निकलवाई जिससे ये मालूम चला 12 सितम्बर 1989 को कोई फ्लाइट 513 उडी ही नहीं थी, बहुत छान बिन करने के कुछ दिनों बाद मुझे बाद मुझे सारी घटना की जानकारी मिली! इस पूरी घटना को रचने की एक बहुत बड़ी साजिश की गयी थी!


सच कुछ और ही निकला Weekly World News अमरीका के एक अखबार में पहली बार ये खबर 1989 में छपा गया था तब अमरीका में हंगामा मच गया अमरीका इस बात को स्वीकारने भी लगा फिर इस खबर को उसी अखबार सन 1992 में छपा गया हैरानी तो मुझे तब हुई जब मैंने यही खबर तीसरी बार उसी अखबार सं 1993 में देखा तब मुझे समझ नहीं आ रहा था अब कैसे पता लगाऊं फिर मैंने गौर किया की जब जब ऐसी न्यूज़ छपती थी तब-तब न्यूज़पेपर की रेटिंग बढ़ जाती थी फिर मैंने उसी न्यूज़पेपर में हैरान कर देने वाली और भी खबरे पढ़ी तब जाकर मुझे पता लगा के ये अखबार काल्पनिक कहानियो को छाप रहा था छाप कर अपनी सेलिंग और रेटिंग और बढ़ा रहा था अखबार में देखकर सब यकीन करने लगे फिर होने क्या था आग की तरह ये न्यूज़ सब जगह फैलने लगी सोशल मीडिया का भी बड़ा योगदान था इस काल्पनिक कहानी फैलने में

लेकिन सबसे बड़ा योगदान तो उस अख़बार का था लेकिन साइंस फ्रिक्शन न्यूज़ आखिर कब तक पढ़ते अमेरिकन्स एक दिन उस अख़बार पर क्लेम हुआ अफवाह फ़ैलाने पर तो 2007 में उस अख़बार को बंद कर दिया गया इस बिच बेचारे सर डॉ.अटेलो का भी नाम काफी ख़राब किया गया जो की एक प्रसिद्द सइंस्टिस्ट एवं पैरानॉर्मल रिसर्चर थे.


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