फंदे से लटकाकर बेटे को देख रहे थे माँ बाप फिर माँ बाप ने भी लगाई फ़ासी
#Parents were watching the son hanging from the noose, then the parents also hanged
जबलपुर में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (MR), उनके 10 साल के बेटे और पत्नी के शव फंदे पर लटके मिलने के केस में परिवार के दो अलग-अलग बयान आए हैं। घटना रविवार दोपहर सामने आई। MR के बड़े भाई ने बताया कि तीनों शुक्रवार को नरसिंहपुर से लौटे थे। वहां MR की ससुराल है। जबकि, उनकी पत्नी के जीजा का कहना है कि तीनों गुरुवार को ही जबलपुर के लिए लौट गए थे। तीन दिन पहले यानी शुक्रवार को दंपती, बेटे के साथ शहर के किसी रेस्टोरेंट भी गए थे। यहां सेल्फी लेकर MR ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट की थी। इस पोस्ट पर एक यूजर के दो कमेंट हैं। पहला- 'ये इतने गुस्से में क्यों है।' दूसरे कमेंट में कहा- 'कहां भाई के साथ घूम रही हो, कभी हम जैसे देवरों के साथ भी पार्टी मना लिया करो।'घटना शहर के रामपुर के छापर इलाके की है। यह एरिया गोरखपुर थाने में आता है। रविवार को MR रवि बर्मन (40), उनकी पत्नी पूनम बर्मन (35) और बेटे आर्यन बर्मन (10) के शव एक ही कमरे में फांसी के फंदे पर लटके मिले थे। घटनास्थल की FSL टीम ने भी जांच की है। जांच टीम का कहना है कि पति-पत्नी ने पहले बेटे को फंदे पर लटकाकर मरते हुए देखा होगा, इसके बाद उन्होंने भी फांसी लगा ली।
सुसाइड के लिए कुर्सी, तकियों का सहारा
शुरुआती जांच में केस सुसाइड का ही लग रहा है। पूनम और उसके पति रवि ने अपने बेटे आर्यन को फांसी के फंदे पर लटकाकर झूलते हुए देखा होगा। बेटे की मौत के बाद पति-पत्नी ने भी फांसी लगा ली। तीनों के शव करीब 2-2 फीट की दूरी पर लटके हुए मिले थे। लाश को बंद कमरे में दो दिन हो चुके थे। धीरे-धीरे लाश सड़ रही थी। इस कारण गंध आ रही थी।घटना को देखने के बाद यही लगा कि बेटे को पहले फांसी पर लटकाया गया। बेटे की मौत के बाद ही पति और पत्नी ने फांसी लगाई। हालांकि, कब किसने फांसी लगाई, यह सब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही क्लियर होगा। तीनों के शरीर से किसी भी प्रकार के चोट के निशान नहीं मिले हैं।
10 साल के बेटे की हाइट कम थी। इस कारण पति-पत्नी कुर्सी पर चढ़कर पहले बेटे को फांसी के फंदे पर लटकाया होगा। जब बेटे की मौत हो गई, तब पत्नी और पति ने भी फांसी लगा ली। दोनों में से पहले किसने फांसी लगाई, यह कहा नहीं जा सकता, लेकिन आशंका है कि उन्होंने साथ में ही फांसी लगाई है। पत्नी की भी हाइट कम होने के कारण उसने कुर्सी पर दो तकिए रखकर आत्महत्या की होगी। पति ने स्टूल रखकर फांसी लगाई।
पूनम के जीजा बोले, प्रॉपर्टी की कुछ बात हो सकती है
हमने घटना की तह में जाते हुए पूनम के मायकेवालों से बात की। पूनम के जीजा तेजराम कहार ने बताया कि वो 6 बहनों में सबसे छोटी थी, इसलिए सबकी लाड़ली भी थी। कोई भाई नहीं था। पिता परशुराम कहार को कुछ साल पहले लकवा हो गया। इस कारण वे घर में रहते थे। मां कृष्णा कहार शुगर की पेशेंट हैं। ऐसे में पूनम अक्सर नरसिंहपुर मायके आकर अपने माता-पिता की देखरेख भी करती थी। अगर माता-पिता बीमार होते थे, तो उन्हें इलाज के लिए भोपाल और नागपुर भी ले जाया करती थी। पति रवि के साथ बहुत खुश रहती थी।उन्होंने बताया कि रवि के पिता ने दो शादी की थी। रवि छोटी मां के बेटे थे। उनके सिर्फ दो ही बेटे हैं। रवि सबसे बड़े थे। छोटा बेटा मां के साथ घर के नजदीक में ही रहता है। उन्होंने आशंका जाहिर करते हुए बताया कि शायद बड़ी मां के बेटे और रवि की प्रॉपर्टी को लेकर कुछ बात हो सकती है।
कोविड से पहले पूनम भी जॉब करती थीं
तेजराम ने बताया कि रविवार करीब पौने 12 बजे भतीजे राहुल बर्मन के पास कॉल आया था कि सभी ने फांसी लगा ली है। पिछले हफ्ते रवि, पत्नी पूनम और बेटे को मां (सास) के पास छोड़ अपने काम पर चले गए थे। बुधवार शाम को वापस लेने आए थे। इस दौरान पूनम की पिपरिया से आई बहन और माता-पिता ने मिलकर खाना भी खाया था। छत पर जाकर खूब हंसी मजाक भी किया था। बुधवार रात साथ रुके थे। गुरुवार सुबह वापस लौटे थे। दोनों के बीच कभी भी किसी भी प्रकार का विवाद आज तक नहीं हुआ। पूनम कोविड से पहले इंश्योरेंस कंपनी में जॉब भी करती थी।पति-पत्नी में बहुत अच्छे रिश्ते थे, घटना समझ से परे
रवि बड़े भाई संतोष के अनुसार, 'भाई ने कभी किसी परेशानी का जिक्र नहीं किया। अगर बताते तो सॉल्व करते, लेकिन कोई न कोई कारण तो है। कर्ज वगैरह की भी बात कभी नहीं कही। हां, परेशान रहता था। पति-पत्नी में आपस में भी अच्छे रिश्ते थे। रवि सिर्फ काम से मतलब रखता था और सीधे घर आता था। उसने ऐसा कदम क्यों उठाया, नहीं जानता।'घटना का पता कब चला? इसके जवाब में संतोष कहते हैं, 'शुक्रवार को तीनों नरसिंहपुर से लौटे थे। इसी रात इनका बेटा मेरी बेटी के साथ खेलने भी आया था। इसके बाद इनका दरवाजा बंद हो गया। शनिवार सुबह मां ने दरवाजा खटखटाया। कोई नहीं उठा तो सोचा कि दूर का सफर कर आए हैं, थके होंगे, इसलिए सो रहे हैं। शाम को भी दरवाजा खटखटाया, पर वे नहीं उठे।
रविवार सुबह फिर दरवाजा खटखटाया। सोचा कि इतना क्यों सो रहे हैं, कारण क्या है? इसके बाद हमने सुबह करीब 11 बजे दरवाजा तोड़ा। अंदर तीनों फंदे पर लटके थे। मैंने दरवाजा लगाकर मोहल्लेवालों और फिर पुलिस को जानकारी दी।
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