व्यक्ति के लिए मुर्खता है इन चार स्थानो पर रहना, जानिए

व्यक्ति के लिए मुर्खता है इन चार स्थानो पर रहना, जानिए

#It is foolish for a person to live in these four places, know

Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य द्वारा रचित नीतियों को अनेकों युवाओं द्वारा पढ़ा और उनका पालन किया जाता है। इसमें आचार्य चाणक्य ने जीवन में सफलता के कई गुण बताए हैं जिनका पालन करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। बता दें कि आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। आचार्य चाणक्य से जानते हैं किन स्टार स्थानों पर व्यक्ति को कभी नहीं रखना चाहिए।

आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उनके द्वारा रचित चाणक्य नीति को वर्तमान समय विधि लाखों युवाओं द्वारा पढ़ा जाता है। आचार्य चाणक्य अर्थशास्त्र, रणनीति और राजनीति जैसे अनेकों विषय के ज्ञाता थे। इसके साथ उन्होंने सरल श्लोक के रूप में अनेकों नीतियों का निर्माण किया था, जिनसे व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में आसानी होती है। इसके साथ आचार्य चाणक्य ने यह भी बताया है कि व्यक्ति को विपत्ति से बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए। 

आइए चाणक्य नीति के इस भाग में जानते हैं, किन चार स्थानों पर रहना है व्यक्ति के लिए मुर्खता?


यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः ।
न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत् ।।


अर्थात- जिस देश में सम्मान न हो, जहां अजीविका का कोई साधन न मिले, जहां कोई अपना न रहता हो। साथ ही जहां विद्या-अध्ययन संभव न हो, ऐसे स्थान पर व्यक्ति को कभी नहीं रहना चाहिए।

  • पहला स्थान- 

आचार्य चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से बता रहे हैं कि जहां व्यक्ति को, महिलाओं को, बड़े-बुजुर्गों को सम्मान न मिलता है। ऐसे स्थान को कभी भी ठिकाना नहीं बनाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे स्थान पर अराजकता अपने चरम पर होती है और अनुशासन हीन लोग ऐसे स्थान पर वास करते हैं।

  • दूसरा स्थान- 

आचार्य चाणक्य आगे बताते हैं कि जहां आजीविका का कोई स्रोत न हो, ऐसे स्थान पर रहना भी मूर्खता के समान है। ऐसे स्थान पर धन के आदान-प्रदान का आभाव होता है और यहां अन्य सुख-सुविधाओं की भी कमी रहती है।

  • तीसरा स्थान- 

जिस स्थान पर कोई जानकार या परिवार का कोई सदस्य न रहता हो, ऐसे स्थान पर नहीं रहना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि जीवन में कभी-कभी मुसीबत आने पर यह आपके सबसे निकट होते हैं और हर सुख-दुःख में साथ रहते हैं।

  • चौथा स्थान- 

चाणक्य नीति के अनुसार, जिस स्थान पर विद्या या अध्ययन का कोई स्रोत न हो। ऐसे स्थान पर रहना भी मुर्खता का काम है। इस स्थान पर अज्ञानता का प्रभाव अधिक रहता है, जिससे कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है।

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