जबलपुर में हर तीसरे घर में मिल रहा है आइ फ्लू का रोगी

जबलपुर में हर तीसरे घर में मिल रहा है आइ फ्लू का रोगी

#Eye flu patient is being found in every third house in Jabalpur

जबलपुर :  शहर व आसपास के क्षेत्र में हर घर में आइ फ्लू का एक रोगी मिल जाएगा। यह देखने से नहीं बल्कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। आइ फ्लू होने पर अपनी आंखों को अपने हाथ से न छुएं, जब भी जरूरी हो अपने हाथों को धोएं, अपनी निजी चीजों जैसे तौलिया, तकिया, आई कास्मेटिक्स (आंखों के मेकअप) आदि को किसी से साझा न करें। यह कहना है नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. अर्पिता स्थापक दुबे का।

रूमाल, तकिये के कवर, तौलिये आदि को रोज धोएं

डा. अर्पिता ने बताया कि अपना रूमाल, तकिये के कवर, तौलिये आदि को रोज धोना चाहिए। एक या दोनों आंखों का लाल या गुलाबी होना, जलन या खुजली होना, असामान्य रूप से अधिक आंसू निकलना, आंखों से पानी जैसा या गाढ़ा डिस्चार्ज निकलना, आंखों में किरकिरी महसूस होना, आंखों में सूजन आ जाना जैसे लक्षण आएं तो सतर्क हो जाना चाहिए।

समय रहते नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें

नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. अर्पिता स्थापक दुबे ने बताया कि समय रहते नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेकर इस समस्या से आसानी से राहत पाई जा सकती है। इसके दो प्रकार हैं, वायरल व बैक्टीरियल आइ फ्लू । इसको फैलने से रोकने के लिए साफ-सफाई रखना सबसे जरूरी है।

आंखों की जांच में समय लगता है

डा. अर्पिता ने बताया कि एक मरीज की आंखों की जांच में उसकी नजर, चश्मे का नंबर, आंखों का प्रेशर, आंखों के सामने व पीछे के पर्दे की जांच तथा इन जांचों के दौरान सामने आई नई समस्या की जांच की जाती है। इस प्रक्रिया में समय लगना स्वभाविक प्रक्रिया है। रेटिना, कार्निया, आप्टिक नर्व आदि की जांच यानि नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श के दौरान मरीज को पर्याप्त समय देना चाहिए।

धुंधला दिखने की शिकायत

आंखों की जांच के बाद कुछ मरीज धुंधला दिखाई देने की शिकायत करते हैं। रेटिना की जांच के लिए आंखों में दवा डाली जाती है। शुगर व ब्लडप्रेशर वाले मरीजों की आंखों की जांच के दौरान भी दवा डाली जाती है। ताकि आंखों की समस्या का बारीकी से अध्ययन किया जा सके। दवा के कारण कुछ घंटाें के लिए आंखों से धुंधलापन नजर आता है। परंतु 4-5 घंटे में स्थिति बेहतर हो जाती है। इस दशा में मरीज को स्पष्ट दिखाई देने तक स्वयं वाहन नहीं चलाना चाहिए।

विशेषज्ञ से परामर्श के बाद ही दवाओं का सेवन

डा. अर्पिता ने बताया कि वार्म कम्प्रेस (कपड़े को हल्के गर्म पानी में डुबोकर आंखों पर रखना) से लक्षणों में आराम मिलता है। बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस में एंटीबायोटिक्स आई ड्राप्स और आइंटमेंट के इस्तेमाल से कुछ ही दिनों में आंखें सामान्य और स्वस्थ्य होने लगती हैं। कंजंक्टिवाइटिस होने पर 2-3 दिन के बाद भी तकलीफ़ बनी रहे तो नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।

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