इंसान की आवाज का 3 सेकंड ही एआई स्कैम के लिए काफी है


आज से करीब 5 साल पहले अमेरिका के पूर्व प्रेसिडेंट बराक ओबामा का एक कथित वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में ओबामा, डोनाल्ड ट्रम्प पर अभद्र टिप्पणी करते दिखाई दे रहे थे। लेकिन ओबामा का वीडियो डीपफेक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से बनाया गया था और वह फेक वीडियो था। आज के दौर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से भी स्कैम और आसान हो गए है। एआई का इस्तेमाल लोगों की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए किया गया था, लेकिन अब इसके भी साइड इफेक्ट्स देखने को मिल रहे हैं। आए दिन लोगों के साथ धोखाधड़ी हो रही है। कभी कोई किसी की आवाज निकालकर पैसों की मांग कर रहा है, तो कभी कोई फोटो पर कलाकारी कर पैसों की डिमांड कर रहा है। एआई से संबंधित कई मामले इन दिनों ट्रेंड पर है। जो कहीं न कहीं लोगों की मुसीबत बढ़ा रहे हैं। आइए समझते हैं कि क्या होती है डीपफेक टेक्नोलॉजी और किस तरह से एआई के उपयोग से स्कैम होते हैं।

एआई से होने वाले 2 स्कैम के बारे में जानिए


  • वॉयस क्लोनिंग - 
बिजनेस इंसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक स्कैम करने वालों को किसी व्यक्ति की आवाज कॉपी करने के लिए सिर्फ 3 सेकंड के ऑडियो की जरूरत होती है। ऐसे में किसी व्यक्ति की आवाज को मिमिक किया जा सकता है और उस व्यक्ति के नाम पर ही खूब पैसे लूटे जा सकते हैं।

  • फेस स्वैपिंग- 
यह एक ऐसी तकनीक है जो किसी वीडियो में एक व्यक्ति के चेहरे को दूसरे व्यक्ति के चेहरे से बदल देती हैं। चेहरे की अदला बदली धोखे के लिए की जा सकती है। हाल ही में चीन के एक नागरिक को इसी फेस स्वैपिंग स्कैम के चलते 5 करोड़ रुपए गंवाने पड़ गए थे।
 

डीपफेक टेक्नोलॉजी के बारे में जानिए

डीपफेक टेक्नोलॉजी एक एआई टेक्नोलॉजी है। इसमें किसी भी तस्वीर, वीडियो व ऑडियो को छेड़छाड़ करके बिल्कुल अलग बनाया जा सकता है। इसलिए इसे डीपफेक नाम दिया गया है। इसका यूज व्यक्तियों और संस्थानों को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जाता है। इस टूल के जरिए एक पूरा भाषण बदला जा सकता है। आपको लगेगा कि स्पीच असली है, लेकिन असल में यह फेक होती है।

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