MP News : ठाकुरों के गांव में दलित महिला सरपंच का अपमान, कहा- "कुर्सी चाहिए तो अपने घर से लाओ, नहीं तो जमीन पर बैठ जाओ "


मध्य प्रदेश के सतना जिले के अकौना ग्राम पंचायत में जातीय भेदभाव का शर्मनाक उदाहरण सामने आया है। जहां ठाकुर बहुल इलाके में पहली दलित महिला सरपंच को लगातार अपमानित किया जा रहा है। यह मामला 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर और भी स्पष्ट रूप से सामने देखने को मिला। जब उन्हें तिरंगा फहराने से रोक दिया गया।

वहीं ग्राम पंचायत की सरपंच श्रद्धा सिंह ने पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को लिखे पत्र में बताया कि, स्वतंत्रता दिवस के दिन ध्वजारोहण का कार्यक्रम ग्राम पंचायत में तय किया गया था। राज्य सरकार के आदेशानुसार, ध्वजारोहण का कार्य सरपंच द्वारा ही किया जाना चाहिए था। वहीं सरपंच ने पंचायत सचिव विजय प्रताप सिंह को भी इस बात की जानकारी दी थी। लेकिन जब वह पंचायत भवन पहुंचीं, तब तक उपसरपंच धर्मेन्द्र सिंह बघेल ने ध्वजारोहण कर दिया था। वहीं यह घटना सिर्फ एक महिला होने के कारण नहीं, बल्कि दलित समाज से होने के कारण उनके साथ जानबूझकर की गई योजना का हिस्सा थी। सरपंच ने इसे अपने खिलाफ एक साजिश और अपमान का खुला उदाहरण बताया हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 28 वर्षीय सरपंच श्रद्धा सिंह ने बताया कि, 17 अगस्त को ग्राम सभा की बैठक के दौरान भी उन्हें अपमानित किया गया था। सरपंच ने बताया कि, जब उन्होंने बैठक के दौरान कुर्सी मांगी, तो उपसरपंच और सचिव ने उन्हें कुर्सी देने से इंकार कर दिया, और कहा कि, "अगर कुर्सी चाहिए तो अपने घर से लेकर आओ, नहीं तो जमीन पर बैठ जाओ या खड़े रहो।"

भेद-भाव का करना पड़ रहा सामना : दलित महिला सरपंच

श्रद्धा ने बताया कि, यह पहला मौका नहीं है, जब उनके साथ इस तरह का दुर्व्यवहार किया गया हो। एक दलित महिला होने के नाते उन्हें हमेशा से अपमान और भेदभाव का सामना करना पड़ा है। जब भी वह गांव में कोई काम करवाने की कोशिश करती हैं, तो उनके काम में अड़चनें डाली जाती हैं। बता दें कि, अकौना ग्राम पंचायत में 2 गांव हैं, ग्राम अकौना और ग्राम टिकरी। श्रद्धा जुलाई 2022 में इस गांव की सरपंच चुनी गई थीं। इस गांव में लगभग 1600 वोटर हैं, जिनमें से 50% ठाकुर समुदाय के हैं। जबकि बाकी में दलित, आदिवासी और ओबीसी समुदाय के लोग शामिल हैं। श्रद्धा बताती हैं कि, वे महज 58 वोटों के अंतर से वह चुनाव जीती थीं। जिस पर भी कुछ जातिवादी लोगों द्वारा बवाल किया गया, क्योंकि ये पहली बार हुआ था, की ठाकुर बाहुल गाँव में कोई दलित महिला सरपंच चुनी गई हो।

जिला कलेक्टर और एसडीएम को भी दी थी सूचना

हालांकि बाद में कलेक्टर महोदय और एसडीएम साहब से फोन पर बात हुई थी, उसके बाद यह मामला शांत हो गया था। उसके बाद फिर से उनके साथ इस तरह का भेद-भाव शुरू हो गया। तब से कई जातिवादी लोग श्रद्धा के लिए चुनौती खड़ी करते रहे हैं।

सरपंच श्रद्धा का यह कहना है कि, उनके खिलाफ हो रहे इस व्यवहार से वह बेहद आहत हैं, लेकिन वह हार मानने वाली नहीं हैं। वह इस भेदभाव और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाती रहेंगी और अपनी पंचायत में विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष करेंगी। सरपंच श्रद्धा द्वारा मामले की शिकायत मध्यप्रदेश के सरपंच संघ के अलावा पंचायत राज परिषद को भी की गई है. सरपंच ने बताया कि 5 सितम्बर को भोपाल में आयोजित होने वाली एक बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होगी साथ ही वे जातिगत भेदभाव करने वाले पदाधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कारवाई और इन्हें पद से हटाने की मांग करेंगी।

अब देखना यह होगा कि, राज्य सरकार और पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं और क्या दलित महिला सरपंच को उनका हक और सम्मान मिल पाता है या नहीं। वहीं इस मामले में भीम आर्मी - भारत एकता मिशन के एडवोकेट विजयकुमार आजाद ने बताया, संस्था द्वारा सभी जिलों में इस घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन और ज्ञापन दिए जायेंगे।

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